( तर्ज - लिजो लिजो खबरीया ० )
मनमें लाओ लगन ,
धुनमें ‘ राम ’ रटो ।
सत्य जीवनको पाओ ,
न पलभी हटो ॥ टेक ॥
कौन है दूजा जगत्के
फंद - लंदमें ? ।
स्वारथी हैं लोग ,
कोउ ना अनंदमें ।
साधू - संतके ग्यानसे ,
अग्यान यह कटो ॥१ ॥
देख लिन्हा लगतके
कई सेठ - साहु को
सुख औ शांति ना लखि है
पास काहुँको ।
प्यारा दिलमें भजेसे
हर - द्वार डटो ॥२ ॥
प्रेमका भूखा प्रभु है ,
बात मानलो ।
है क्रोधियोंका नाश ,
आखरीमें जानलो ।
तुकड्या कहता है सोओ ना ,
जाग उठो ॥३ ॥
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